।। प्रार्थना ।।
श्रीहरि
श्रीहरि
तू ईश्वर है तू अल्लाह है मेरा
तू येशू है तू वाहे गुरु मेरा ।।धृ .।।
तू येशू है तू वाहे गुरु मेरा ।।धृ .।।
पलके मिटती है तो, छा जाता है अंधेरा
उस अंधेरे से निकलकर, देखो नया सवेरा ।
इस रूह को है हमे, उस रोशनी मे मिलाना
बाहरी दुनिया से हमे है भीतर की ओर जाना ।। 1 ।।
उस अंधेरे से निकलकर, देखो नया सवेरा ।
इस रूह को है हमे, उस रोशनी मे मिलाना
बाहरी दुनिया से हमे है भीतर की ओर जाना ।। 1 ।।
मेरा धरम है अपने, दायित्व को निभाना
मेरी वही है पूजा, मानवता को निभाना ।
ईश्वर हो या अल्लाह, या येशू वाहे गुरु
वो तो मिलेंगे भीतर, ना ढूंढो इधर उधर ।। 2 ।।
मेरी वही है पूजा, मानवता को निभाना ।
ईश्वर हो या अल्लाह, या येशू वाहे गुरु
वो तो मिलेंगे भीतर, ना ढूंढो इधर उधर ।। 2 ।।
मानव क्यू मानव पर, कर रहा है अत्याचार?
है भटक गयी जीवननय्या कैसे होगी पार?
ईश्वर को पाने के है, रासते कई अनेक
जो भी हो रासता, चलना है बनकर नेक ।। 3 ।।
है भटक गयी जीवननय्या कैसे होगी पार?
ईश्वर को पाने के है, रासते कई अनेक
जो भी हो रासता, चलना है बनकर नेक ।। 3 ।।
तू ईश्वर है, तू अल्लाह है मेरा
तू येशू है , तू वाहे गुरु मेरा
तू येशू है , तू वाहे गुरु मेरा
(Hindi poem)
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